दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में देश का सबसे बेहतर बर्न यूनिट होने की वजह से यहां आएदिन जलने के मामले आते हैं, लेकिन शुक्रवार देर रात उन्नाव पीड़िता के दम तोड़ने की खबर सुनते ही अस्पताल के डॉक्टर व नर्सों की आंखों में भी आंसू छलक उठे। हर कोई सात वर्ष पहले इसी दिसंबर के महीने में अस्पताल पहुंची निर्भया को याद करने लगे।
डॉक्टरों का कहना था कि निर्भया की तरह ही उन्नाव पीड़िता बड़ी हिम्मत वाली थी। पूरा शरीर जलने के बाद भी वह हिम्मत नहीं हार रही थी। अस्पताल की नर्स शकुंतला देवी बताती हैं कि सात वर्ष पहले जब निर्भया अस्पताल पहुंची थी, उस वक्त अस्पताल में मौजूद हर कर्मचारी की रूह तक कांप उठी थी। ठीक वैसा ही उन्नाव पीड़िता को देखकर महसूस हुआ।
पूरे शरीर पर बंधी पट्टियां और काला पड़ा चेहरा रोंगटे खड़े कर दे रहा था। वहीं अस्पताल के ही डॉ. विष्णु कुमार का कहना है कि कोई इतना भी जालिम कैसे हो सकता है? एक डॉक्टर होने के नाते वे आग की लपटों के शिकार मरीजों की पीड़ा समझ सकते हैं, लेकिन एक आम व्यक्ति जब ऐसे मरीज को देखता है तो उसकी आंखों में आंसू ही दिखाई देते हैं।
नर्स प्रेमरोज ने बताया कि उन्नाव पीड़िता की हालत शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। इस केस ने निर्भया की याद दिला दी। सात वर्ष पहले भी जघन्य अपराध की शिकार निर्भया जिस दर्द से कराह रही थी, वैसा ही उन्नाव पीड़िता अस्पताल में जब आई थी तब उसकी कराने की आवाज सुनकर महसूस किया जा सकता था, लेकिन वो कुछ वक्त तक होश में रह पाई और उसके बाद वह वेंटीलेटर पर चली गई।